जब अयोध्या में ऐतिहासिक राम मंदिर का अभिषेक होने जा रहा है, तब असम के गुवाहाटी में श्रीराम के गुरु वशिष्ठ के आश्रम के बारे में कुछ ऐतिहासिक तथ्य जानना जरूरी है। महर्षि वशिष्ठ द्वारा स्थापित यह आश्रम वैदिक युग का ही है, जो वास्तव में प्राचीन काल से एक प्रसिद्ध तपस्थली था।
हालाँकि आश्रम में एक मंदिर है लेकिन जिस गुफा में मुनि वशिष्ठ ने ध्यान लगाया था वह गुफा आश्रम से 5 किलोमीटर अंदर स्थित है।
आश्रम अन्तर्गत मंदिर मेघालय की पहाड़ियों से निकलने वाली तीन पर्वतीय नदियों - संध्या, ललिता एवं कांता - के तट पर स्थित है, जो गुवाहाटी शहर से होकर बहने वाली वसिष्ठा और बाहिनी या भरोलु नदियाँ बन जाती हैं।
आश्रम परिसर में एक पत्थर से बनी मंदिर का प्रमाण मिलता है जो लगभग 1000 से 1100 ईस्वी तक इस स्थान पर खड़ा था। 18वीं शताब्दी मध्य में पहले काल के पत्थर से बनी मंदिर के अवशेषों पर एक ईंट का मंदिर बनाया गया था। मंदिर में एक धँसा हुआ गर्भगृह है, जिस पर ऋषि वशिष्ठ के पैरों के निशान भी हैं। मौजूदा अष्टकोणीय ईंट मंदिर का निर्माण अहोम राजा स्वर्गदेव राजेश्वर सिंह ने 1751 से 1769 तक अपने शासनकाल के दौरान किया था।
जैसे श्रीमद्भागवत गीता कृष्ण और अर्जुन के बीच संवादों का संकलन है, वैसे ही प्रसिद्ध योग-वसिष्ठ ग्रंथ शिष्य राम और गुरु वशिष्ठ के बीच के प्रश्नों और उत्तरों का संग्रह है।